WHO WROTE HANUMAN CHALISA OPTIONS

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हनुमान चालीसा गाने वाले लोकप्रिय गायकों में कर्नाटक गायक एम एस सुब्बुलक्ष्मी, साथ ही लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, एस पी बालासुब्रह्मण्यम, शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल, कैलाश खेर, सुखविंदर सिंह, सोनू निगम, और उदित नारायण शामिल हैं। श्री हनुमान चालीसा[संपादित करें]

व्याख्या – रोग के नाश के लिये बहुत से साधन एवं औषधियाँ हैं। यहाँ रोग का मुख्य तात्पर्य भवरोग से तथा पीड़ा का तीनों तापों (दैहिक, दैविक, भौतिक) से है जिसका शमन श्री हनुमान जी के स्मरण मात्र से होता है। श्री हनुमान जी के स्मरण से निरोगता तथा निर्द्वन्द्वता प्राप्त होती है।

For numerous, the typical chanting of the Hanuman Chalisa will become a type of meditation, aiding in the development of concentration, and eventually leading to the next amount of spiritual awakening.

[Maha=fantastic;Beera=Courageous; Vikram=excellent deeds; bajra=diamond; ang=system elements; kumati=undesirable intellect; nivara=heal, clear, ruin; sumati=great intelligence; ke=of; sangi=companion ]

[RamDoota=Lord Ram messenger; atulita=calculated; atilita=immeasurable; bala=energy; dhama=abode; Anjani=of Anjana; putra=son; pavana=wind; suta=son; naama=name]

That means: All comforts of the planet lie at your feet. The devotees take pleasure in all divine pleasures and truly feel fearless less than your benign Protection.

व्याख्या — गोस्वामी click here श्री तुलसीदास जी की ‘कवितावली’ में ‘अमित जीवन फल’ का वर्णन इस प्रकार है –

रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक, प्रचलित एवं चर्चित लघुकथाएं

సియావర రామచంద్రకీ జయ । పవనసుత హనుమానకీ జయ । బోలో భాయీ సబ సంతనకీ జయ ।

व्याख्या – ‘राम लखन सीता मन बसिया’– इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि भगवान् श्री राम, श्री लक्ष्मण जी एवं भगवती सीता जी के हृदय में आप बसते हैं।

भावार्थ – ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमान जी की जय हो। तीनों लोकों (स्वर्गलोक, भूलोक, पाताललोक) को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने वाले कपीश्वर श्री हनुमान जी की जय हो।

भावार्थ—आपके स्वर्ण के समान कान्तिमान् अंगपर सुन्दर वेश–भूषा, कानों में कुण्डल और घुँघराले केश सुशोभित हो रहे हैं।

చౌరాష్టకం (శ్రీ చౌరాగ్రగణ్య పురుషాష్టకం)

व्याख्या – श्री शंकर जी के साक्षी होने का तात्पर्य यह है कि भगवान श्री सदाशिव की प्रेरणा से ही श्री तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा की रचना की। अतः इसे भगवान शंकर का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिये यह श्री हनुमान जी की सिद्ध स्तुति है।

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